Wednesday, 11 April 2018
सच में इंदौर की सड़कों से देश के हर शहर को सबक लेना चाहिए
संदर्भ : रीजनल थ्री आर फोरम इन एशिया एंड द पेसिफिक कांफ्रेंस
राजेश रावत (12 अप्रैल 2018)
देश में सफाई के लिए पहले सूरत का नाम लिया जाता था। लोग सूरत की सफाई देखने जाते थे। पर इंदौर ने जो मेहनत की है। वास्तव में वह काबिले तारीफ है। देश के दूसरे शहरों को भी इससे सबक लेना चाहिए। 52 देशों के प्रतिनिधियों ने इंदौर की साफ सड़के देखने के बाद जो तारीफ की है। उसके पीछे कड़ी मेहनत और शहर के लोगों की ईमानदार कोशिश भी है। इंदौर में मुझे रहते हुए अभी तीन महीने हो चुके हैं। सड़कों और मोहल्लों को साफ रखने के लिए नगर निगम के कर्मचारी कितनी मेहनत करते हैं और लोग किस तरह से सहयोग करते हैं। इसे नजदीक से देख रहा हूं। हर दिन कचरा उठाने के लिए वाहन का आना और लोगों को उसी सलीके से उसे कचरा देकर मोहल्ले को साफ रखने के लिए सहयोग करने का नतीजा ही है कि सड़के और गली मोहल्ले साफ रहते हैं। यह तब है जब मेरी तरह ही इंदौर में 25 फीसदी से भी ज्यादा लोगों का बाहरी हैं। यानी दूसरे शहरों से आकर यहां रह रहे हैं। सात साल भोपाल में भी रहा हूं। ऐसा नहीं है कि वहां सफाई नहीं होती है। सुबह सैर पर जाने की आदत की वजह से वहां भी सुबह साढ़े पांच छह बजे सफाई शुरू हो जाती थी। रात में एमपी नगर में कभी -कभार ही सफाई होती थी। लेकिन इंदौर में हर रात में आपको प्रमुख सड़कों पर सफाई करने वाली मशीन और सफाई कर्मचारी दिख जाएंगे। इतना ही नहीं उनकी मॉनीटरिंग करने वाले भी उतनी ही सजगता के साथ दिखेंगे। शायद यही एक बड़ा कारण है कि सफाई का। सफाई कामगारों के साथ ही उन्हें दिशा -निर्देश देने वाले अधिकारी भी सजग है। कर्मचारी को अधिकारी के आने का डर बना रहता है। केवल एक यहीं कारण नहीं है। सफाई कामगारों के साथ शहर के लोग इंदौर में कचरा सड़कों पर नहीं फेंकते। घरों के सामने गंदगी का ढेर नहीं लगता है। हर घर में कचरे के दो डिब्बे रहते हैं। सूखा और गीला कचरा अलग -अलग करने के लिए। इतना ही नहीं जब वे कचरे को मिक्स करने लाते हैं तो कचरा वाहन के साथ चलने वाला अटेंडर कचरा लेने से मना कर देता है। तब लोग दोनों कचरे अलग-अलग करके लेकर आते हैं और फिर उसके वाहन में डालते हैं। यह प्रक्रिया जो शुरू हुई है। उसी का नतीजा है कि शहर साफ दिखने लगा है।
थ्री आर फोरम कांफ्रेंस : 52 देशों के प्रतिनिधि रीजनल थ्री आर फोरम इन एशिया एंड द पेसिफिक कांफ्रेंस के तहत इंदौर आए। उन्होंने शहर की सड़कों की सफाई की तारीफ की। अपने अनुभव शेयर किए। अपने देशों की सफाई व्यवस्था की जानकारी दी। इस कांंफ्रेंस से इंदौर को भी लाभ हुआ। अखबारों में खबरें छपने से शहर की तारीफ होने पर हर इंदौरी का सीना छप्पन इंच का हो गया और चुनौती भी मिलने से सतर्क हो गया कि अब जो मुकाम हासिल किया है उसे हर हाल में बनाए रखना है। अब कई और शहर इस रेस में उसे मात देने की तैयारी कर सकते हैं तो कुछ नया भी करना होगा।
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