Thursday, 16 January 2014

दैनिक भास्कर को दिया राहुल ने पहला इंटरव्यू

-हिंदी अखबार ने रचा इतिहास 

देश ही नहीं दुनिया में दैनिक भास्कर ने नया इतिहास रचा है। भास्कर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का इंटरव्यू प्रकाशित किया है। १५ साल से राजनीति में सक्रिय राहुल का यह पहला इन्टरव्यू है।  मेरी पत्रकारिता के करियर में किसी हिंदी अखबार ने अभी तक इस  तरह खबर को ब्रेक नहीं किया है, जिसका कवरेज भारतीय टीवी चैनलों में २४ घंटे हुआ हो। यह हिंदी अखबारों की बढ़ती ताकत का सबूत भी है। भास्कर ने हिंदी अखबारों को जो गरिमा प्रदान की है, वह सुनहरी अक्षरों में दर्ज हो गई है। 

दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर कल्पेश याग्निक  ने जिस साफगोई से राहुल से सवाल किए गए और  मुद्दों पर सीधा जवाब लेने की कोशिश की, उससे आम पाठकों के अलावा राजनीतिक दलों में भी इन्टरव्यू को गंभीरता से लिया और सराहा। 

किसी हिंदी अखबार का इंटरव्यू  तीन दिन तक टीवी चैनलों पर चर्चा का विषय बना रहा। यह पूरा वाकया हिंदी पत्रकारिता के लिए एक सबक है। चाहे कितना भी बड़ा व्यक्ति सामने  क्यों न हो, आपको अपने महत्वपूर्ण सवालों को नहीं भूलना है। हस्ती के सामने सवालों को गौण नहीं होने दें। पाठक इस तरह ही बेवाक सवालों के उत्तर चाहता है। 

 इस इन्टरव्यू में पहली बार फ्रंट पेज पर हेड लाइन से तवज्जों उस सवाल को दी गई, जिसका उत्तर पूरे देश के साथ ही हर राजनीतिक दल जानना चाहता था। यहीं पर दैनिक भास्कर ने अपनी नई पत्रकारिकता की छाप छोड़ी है। आम तौर पर हिंदी अखबारों में हेड लाइन और सब हेड  के माध्यम से मूल बात कही जाती है। 

लेकिन इस इंटरव्यू में पहले सवाल और उसका उत्तर दिया गया। सपोर्ट में हेडलाइन को दिया गया है। यानि भास्कर ने पाठक को ध्यान में रखकर पूरे इन्टरव्यू को प्रकाशित किया। भास्कर की यह नीति भी है। दूसरे कह सकते हैं हर अखबार भी यही करती है, चाहता है। परन्तु वास्तविकता इससे दूर ही रहती है। 

पत्रकारों के हाथ में जैसी ही ब्रेकिंग खबर लगती है वे पाठक को भूल जाते हैं। बस पूरा ध्यान खबर को रोचक और चटपटा बनाने की तरफ रहता है। भास्कर की इस खबर में कहीं इस तरह की कोशिश नहीं झलकती है।  हां भास्कर का प्रेजेंटशन हमेशा की तरह रोचक था। यह उसकी ताकत भी है और यही बात भास्कर को पिछले १५ सालों से अलग ही बनाता रहा है। 

इस खबर के दैनिक भास्कर में ब्रेक होने के बाद कुछ टीवी चैनल मजबूरी में खबर चला रहे हैं। इसका सबूत खबर के बीच में उनकी तल्ख टिप्पणियों से उनकी खीज के रूप में सामने आता रहा। यह एक सामान्य व्यक्ति भी समझ रहा था।

वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर राहुल ने देश के तमाम न्यूज चैनलों को छोडकर एक हिंदी अखबार को इंटरव्यू क्यों दिया। एनडीटीवी के एक कार्यक्रम के दौरान उसी दिन दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर कल्पेश याग्निक ने इसका उत्तर भी दे दिया। राहुल आम लोगों के बीच जाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने देश के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते अखबार को इंटरव्यू देने के लिए चुना।

भास्कर समूह १३ राज्यों से आठ समाचार पत्रों का प्रकाशन करता है। उसके ६६ संस्करण इन राज्यों से प्रकाशित और प्रसारित होते हैं। जिसमें हिंदी, गुजराती, मराठी भाषी अखबार भी शामिल हैं।

राजेश रावत 
भोपाल १६ जनवरी २०१४ 

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