आम आदमी पार्टी दूरी बनाए प्रशांत भूषण से
जम्मू कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। इसके बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है।
जवाहरलाल नेहरू ने अगर जम्मू कश्मीर के मामले कथित तौर पर गलती की है तो प्रशांत भूषण उस गलती को विराल समस्या के रूप में देश और दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं। एेसे देश द्रोही व्यकि्त से आम आदमी पार्टी को तत्काल दूरी बना लेना चाहिए। क्योंकि देश का कोई भी व्यक्ति सोच भी नहीं सकता है।
इसकी वकालात प्रशांत भूषण जैसे पाकिस्तान और अमेरिका के समर्थक ही कह सकते हैं। प्रशांत और उनके पिता शांतिभूषण बिना लाभ के कुछ नहीं करते हैं। देश के अधिकांश लोग इस बात को जानते हैं। उनके खिलाफ कई मामलों के सामने आने के बाद इसका खुलासा हुआ है।
अब उन्होंने अपना नाम फिर से सुर्खियों में लाने के लिए इस मामले को उछाला है। मोदी और भाजपा भी समय -समय पर इस तरह की कोशिश कर चुके हैं।
हालांकि उनका तरीका दूसरा होता है। परन्तु राजनीति इसी तरह की होती है। लोगों को डराने के लिए कश्मीर का मुद्दा भाजपा उठाती रहती है। धारा 370 के मुद्दे को अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होंने उठाया था। जब अटल बिहारी की सरकार थी तब भाजपा ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसका सीधा मतलब है कि भाजपा राम मंदिर मुद्दे की तरह ही इस मुद्दे को कभी हल नहीं करने देना चाहती है। बस दोहन करना चाहती है।
कांग्रेस तो एेसे मुद्दे का दोहन करने में माहिर ही है। वह कान सीधे नहीं पकड़कर घुमाकर पकड़ती है। भाजपा के पास सीधे कान पकड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है इसलिए वह जल्दी एक्सपोज हो जाती है। अब आप से जुड़े प्रशांत भूषण के इस बयान से उसका भी मुद्दे का दोहन करने का इरादा झलकता है।
अगर वास्तव में आम आदमी का इस तरह से कोई इरादा नहीं है तो उसे प्रशांत भूषण से मुकि्त पाना चाहिए। ताकि देश की अंखडता के मामले में उसका एजेड़ा लोगों के सामने साफ हो। वह लोकसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में इस बात का स्पष्ट और साफ -साफ खुलासा करे कि उसकी नीति क्या है। अगर आप ने देश की एकता के सवाल पर अपना स्टैंड साफ नहीं किया तो यह तय है कि उसका साथ आम लोग छोड़ देंगे। क्योंकि वे बगैर कश्मीर के ल्पना ही नहीं कर सकते हैं।
जम्मू कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। इसके बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है।
जवाहरलाल नेहरू ने अगर जम्मू कश्मीर के मामले कथित तौर पर गलती की है तो प्रशांत भूषण उस गलती को विराल समस्या के रूप में देश और दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं। एेसे देश द्रोही व्यकि्त से आम आदमी पार्टी को तत्काल दूरी बना लेना चाहिए। क्योंकि देश का कोई भी व्यक्ति सोच भी नहीं सकता है।
इसकी वकालात प्रशांत भूषण जैसे पाकिस्तान और अमेरिका के समर्थक ही कह सकते हैं। प्रशांत और उनके पिता शांतिभूषण बिना लाभ के कुछ नहीं करते हैं। देश के अधिकांश लोग इस बात को जानते हैं। उनके खिलाफ कई मामलों के सामने आने के बाद इसका खुलासा हुआ है।
अब उन्होंने अपना नाम फिर से सुर्खियों में लाने के लिए इस मामले को उछाला है। मोदी और भाजपा भी समय -समय पर इस तरह की कोशिश कर चुके हैं।
हालांकि उनका तरीका दूसरा होता है। परन्तु राजनीति इसी तरह की होती है। लोगों को डराने के लिए कश्मीर का मुद्दा भाजपा उठाती रहती है। धारा 370 के मुद्दे को अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होंने उठाया था। जब अटल बिहारी की सरकार थी तब भाजपा ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसका सीधा मतलब है कि भाजपा राम मंदिर मुद्दे की तरह ही इस मुद्दे को कभी हल नहीं करने देना चाहती है। बस दोहन करना चाहती है।
कांग्रेस तो एेसे मुद्दे का दोहन करने में माहिर ही है। वह कान सीधे नहीं पकड़कर घुमाकर पकड़ती है। भाजपा के पास सीधे कान पकड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है इसलिए वह जल्दी एक्सपोज हो जाती है। अब आप से जुड़े प्रशांत भूषण के इस बयान से उसका भी मुद्दे का दोहन करने का इरादा झलकता है।
अगर वास्तव में आम आदमी का इस तरह से कोई इरादा नहीं है तो उसे प्रशांत भूषण से मुकि्त पाना चाहिए। ताकि देश की अंखडता के मामले में उसका एजेड़ा लोगों के सामने साफ हो। वह लोकसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में इस बात का स्पष्ट और साफ -साफ खुलासा करे कि उसकी नीति क्या है। अगर आप ने देश की एकता के सवाल पर अपना स्टैंड साफ नहीं किया तो यह तय है कि उसका साथ आम लोग छोड़ देंगे। क्योंकि वे बगैर कश्मीर के ल्पना ही नहीं कर सकते हैं।
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