मोदी ने फिर गलत तर्क देकर किया लोगों को गुमराह
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने आज फिर गलत तर्क दिए। इसके साथ ही साफ हो गया कि वे जानबूझकर लोगों को प्रभावित करने के लिए गलत तर्क देते हैं। इसे मैं उनकी जोर से बोलो, झट से बोलो राजनीति का हिस्सा मानता हूं। जोर से और झट से बोलने से लोग गलत बात को कुछ पल के लिए सही भले न माने पर उस पर विश्वास जरूर कर लेते हैं। यही मोदी भी चाहते हैं। परन्तु इससे उन पर लोगों को भरोसा जमने के स्थान पर कम होता जा रहा है।
आप देखें कि जब भी किसी नेता ने गलत तर्क दिए हैं। लोग उससे असहमति भले न जताए। पर उससे सहमत कभी नहीं हुए हैं। जब भी चयन का निर्णय उनके पास आया। गलत तर्कों को खारिज ही किया है। अबकी बार मोदी ने जो तर्क दिया है। वह है पूर्व प्रधानमंत्री के संबंध में है। पूरा देश जानता है कि अटल जी जीवन भर कांग्रेस के समर्थन से ही संसद में प्रभावी बने रहे हैं।
उनकी योग्यता पर किसी प्रकार का कोई प्रश्नचिंह मैं नहीं लगा रहा हूं। न ही एेसी धृष्टता कर सकता हूं। तथ्यों को देखे कि जब भी अटल जी ने प्रभावी भाषण दिया।प्रधानमंत्री नेहरूजी हो या इंदिरा जी ने उनका उत्साह बढ़ाया। जैसे आज अरविंद केजरीवाल का जैसा उत्साह राहुल गांधी ने बढ़ाया है।
भाजपा ने इस बात का कभी जिक्र नहीं किया। आभार मानना तो दूर की बात है। अगर ये नेता उस समय उनके अच्छे भाषण की तारीफ नहीं करते तो अटल जी का जो कद इतना बडा बना है। आज नहीं होता। न ही मोदी हर बार भाषण में उनका नाम नहीं ले पाते।
यानि नेहरू जी या इंदिरा जी की भाजपा के कद बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उस समय अटलजी भाजपा और आरएसएस के लिए सबसे बड़े संकट थे। कभी उन्हें दोनो ही दलों ने उनकी वरिष्ठा के हिसाब से सम्मान नहीं दिया।
भाजपा में वे हमेशा ही साफ्ट विचारों वाले एक कमजोर नेता रहे हैं। जबकि सत्ता दिलाने में यह नम्र स्वभाव वाला कमजोर व्यकि्त सबसे ताकतवर बनकर उभरा था। अटलजी ने अपने लिए कुछ नहीं किया। यह भी सही है। लेकिन उनके दामाद ने उनके कद और प्रभाव का कितना दोहन किया है। यह बात भी किसी से नहीं छिपी है। कई मामलों में उनका नाम आया है। मगर उसे हमेशा ही छुपाया गया।
यहीं मेरा मोदी पर गलत बयानी का आरोप है। जब आप वंशवाद और भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करते हैं। तो अटलजी के नाम पर हुए इस मामले पर खुलकर क्यों नहीं बोलते हैं।
मध्यप्रदेश समेत देश के सभी राज्यों में नेताओं के पुत्र मंत्री, विधायक और सांसद हैं। उन पर नीति साफ क्यों नहीं करते। माना कि सबको राजनीति का अधिकार है। पर टिकट तो इन नेता पुत्रों कों उनके पिता के नाम पर ही दिया जाता है। अगर उनके पिता का नाम हटा दिया जाए एक या दो नेता पुत्रों या पुत्रियों को छोड़कर उनके काम शून्य हो जाएंगे।
इससे पहले भी मोदी कई गलत तथ्य़ पेश कर चुके हैं। क्या देश में जो व्यक्ति प्रधानमंत्री बनने के लिए झूठे,गलत तर्को पेश करके देश के सबसे बड़े पद पर चुने जाने की लालसा रखता है। उसे इस तरह का आचरण पेश करना चाहिए। निश्चित ही जवाब नहीं होगा। फिर यह बात मोदी की समझ में क्यों नहीं आ रही है। उनके समर्थक भी उनके गलत तर्को की आलोचना नहीं करके मोदी के रास्ते में ही कांटे बिछा रहे हैं।
गलत तर्क और झूठी जानकारी भारत में सदैव ही निंदा की पात्र रही है। परन्तु इस समय खुलकर लोग गलत बात का समर्थन कर रहे हैं।
राजेश रावत
12 जनवरी 2014
भोपाल
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