देश में बह रही नई बयार मध्यप्रदेश नशे में
दिल्ली में आम आदमी पार्टी नई नई घोषणा लोगों के हितों में कर रही है। उसका कितना लाभ होगा यह भविष्य और इनके क्रियान्वन पर निर्भर करता है। परन्तु इतना तय है कि लोगों के हित में कुछ नया हो रहा है। आम आदमी की चिंता हो रही है। उसकी परेशानियों को हल करने के प्रयास हो रहे हैं। इतना ही आम लोगों के लिए संतोष की बात है।
सब जानते हैं भ्रष्टाचार एक दिन या एक दो कानून से नहीं खत्म होने वाला है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। पर इसका प्रभाव तत्काल सामने आने लगता है। लोगों को राहत मिलना शुरू हो जाती है। थोड़ी सी सख्ती से काम फटाफट होने लगते हैं। लोग डर कर कुछ दिन सही काम करते हैं।
एेसे दौर में मध्यप्रदेश में सरकार और नेता नशे में है। शराब की दुकानों पर राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को घेर रहे हैं। क्या इनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। यह फिर बहाना ही ढूढते रहते हैं। मुख्यमंत्री भी रात भर नहीं सो पा रहे हैं। कभी उन्हें जनता की किसी समस्या पर उनकी नींद नहीं उड़ी। पर शराब की दुकानों से उड़ने वाले नशे ने जरूर उड़ा दी।
इसे मुक्त हाथ से मिली चुनावी सफलता का प्रभाव भी कहा जा सकता है। हर बड़ी सफलता के बाद सफल होने वाला कुछ पल के लिए रुकता है। इस खुमारी के दौर में एेसे निर्णय हो जाते हैं। इसमें किसी को दोष नहीं दिया जा सकता है। परन्तु खुमारी जल्दी ही उतर जाए तो अच्छा है। भाजपा के लिए अच्छा हो या न हो । पर प्रदेश के लोगों के लिए जरूर अच्छा रहेगा। भाजपा नेता कम से कम जनहित में काम तो करने लगेंगे। कुछ नया सोचने लगे।
मध्यप्रदेश वैसे भी दिल्ली या गुजरात जैसे राज्यो से विकास के मामले में बहुत पीछे है। यहां के लोगों के पास रोजगार नहीं है। सरकारी नौकरियों पर बाहरी लोगों का ही कब्जा है। आंकड़े इसकी पु्ष्टि कर देंगे। यहां अभी प्रांतवाद इतना नहीं है।सड़कों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। उद्योग भी एेसे नहीं है जहां नौकरी मिल सके।
राजेश रावत
भोपाल, 8 जनवरी 2014
दिल्ली में आम आदमी पार्टी नई नई घोषणा लोगों के हितों में कर रही है। उसका कितना लाभ होगा यह भविष्य और इनके क्रियान्वन पर निर्भर करता है। परन्तु इतना तय है कि लोगों के हित में कुछ नया हो रहा है। आम आदमी की चिंता हो रही है। उसकी परेशानियों को हल करने के प्रयास हो रहे हैं। इतना ही आम लोगों के लिए संतोष की बात है।
सब जानते हैं भ्रष्टाचार एक दिन या एक दो कानून से नहीं खत्म होने वाला है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। पर इसका प्रभाव तत्काल सामने आने लगता है। लोगों को राहत मिलना शुरू हो जाती है। थोड़ी सी सख्ती से काम फटाफट होने लगते हैं। लोग डर कर कुछ दिन सही काम करते हैं।
एेसे दौर में मध्यप्रदेश में सरकार और नेता नशे में है। शराब की दुकानों पर राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को घेर रहे हैं। क्या इनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। यह फिर बहाना ही ढूढते रहते हैं। मुख्यमंत्री भी रात भर नहीं सो पा रहे हैं। कभी उन्हें जनता की किसी समस्या पर उनकी नींद नहीं उड़ी। पर शराब की दुकानों से उड़ने वाले नशे ने जरूर उड़ा दी।
इसे मुक्त हाथ से मिली चुनावी सफलता का प्रभाव भी कहा जा सकता है। हर बड़ी सफलता के बाद सफल होने वाला कुछ पल के लिए रुकता है। इस खुमारी के दौर में एेसे निर्णय हो जाते हैं। इसमें किसी को दोष नहीं दिया जा सकता है। परन्तु खुमारी जल्दी ही उतर जाए तो अच्छा है। भाजपा के लिए अच्छा हो या न हो । पर प्रदेश के लोगों के लिए जरूर अच्छा रहेगा। भाजपा नेता कम से कम जनहित में काम तो करने लगेंगे। कुछ नया सोचने लगे।
मध्यप्रदेश वैसे भी दिल्ली या गुजरात जैसे राज्यो से विकास के मामले में बहुत पीछे है। यहां के लोगों के पास रोजगार नहीं है। सरकारी नौकरियों पर बाहरी लोगों का ही कब्जा है। आंकड़े इसकी पु्ष्टि कर देंगे। यहां अभी प्रांतवाद इतना नहीं है।सड़कों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। उद्योग भी एेसे नहीं है जहां नौकरी मिल सके।
राजेश रावत
भोपाल, 8 जनवरी 2014
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