Sunday, 6 April 2014

स्टेशन पर पहली बार मतदान की अपील
देश में चुनाव का प्रचार इस बार चरम पर था। शायद पहली बार मैंने चार रात को साढ़े तीन बजे भोपाल रेलवे स्टेशन पर मतदान की अपील चुनी। वह भी प्लेटफार्म नंबर पांच पर। स्टेशन पर रेल आने की घोषणा करने वाले माइक से हो रहा था प्रचार। मेरे समेत कई लोगों के आश्चर्य में थे। परन्तु एक सुखद आश्चर्य जरूर था। चलो देश के नेताओं को आम लोगों का डर तो है। मेरा अनुमान है कि यह प्रचार केवल चुनाव आयोग की एक पहल भर का नतीजा नहीं है। बल्कि उन तमाम राजनेताओं के  डर का परिणाम है जो मतदाताओं से घबराए हुए हैं।

चुनिए उसे जो सही और सच्चा हो
सोमवार से देश में मतदान का दौर शुरु हो जाएगा।  पहले चरण में  असम और त्रिपुरा की छह सीटों पर मत डाले जाएंगे। देश ने आरोप और प्रत्योरोपों का दौर देखा। झूठे और सच्चे वादों से भरे इरादे देखे। भ्रमित करने के तमाम कोशिशें नेता कर चुके हैं। सोशल मीडिया से लेकर प्रचार के सभी माध्यमों को उपयोग और दुरुपयोग का दौर भी चला। कुछ लोग प्रयार की बयार में बहे तो कुछ देखो और इंतजार की जर्त पर चुप रहे। अब समय चुप नहीं रहने का है। बस अपने इरादों को जाहिर करने का है। चाहे किसे भी चुनें पर इतना जरूर ध्यान रखें कि जिसे आप चुन रहे हैं वह आपकी कसौटी पर खरा उतरने के कुछ मापदंड तो पूरा करने में सक्षम जरूर ही हो।

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