राजेश रावत (फोटो : गूगल साभार)
हर नेता दिल में कालजयी होने की आरजू पालकर ही राजनीति करता है। उसका हर काम इसी दिशा में बढ़ता हुआ कदम होता है। परन्तु अपनी जुबान से खुलकर हिम्मत नहीं कर पाता है। यह अलग बात है कि वह अपने दिल के अरमानों को अपने समर्थकों के जरिये जनता के सामने लाता रहता है। कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश
मंत्री सलमान खुर्शीद का नया वीडियो ‘कल हो न हो ’भी इसी कड़ी का हिस्सा है। पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपनी तमन्ना को सलमान खुर्शीद ने बिना किसी लाग-लपेट के सबके सामने लाए और स्वीकार भी किया।
‘कल हो न हो ’ वीडियो में सलमान खुर्शीद ने जर्मन राजदूत माइकल स्टैन्स की पत्नी एलिस के साथ रोमांटिक दृश्यों में नजर आए हैं। वे भी अन्य दूसरे नेताओं की तरह ही खुद को कालजयी बनाना चाहते हैं। जैसे एक दौर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था। नेहरू को महात्मा गांधी जी से प्रेरणा मिली थी। वे भी यही चाहते थे कि उन्हें गांधी जी के बाद लोग याद करें। हालांकि उन्हें इस बात की जरूरत नहीं थी। क्योंकि वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बनकर कालजयी हो गए थे। स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनकी महत्वकांक्षा कम नहीं हुई। वे लगातार इस कोशिश में लगे रहे कि उन्हें गांधी के तुल्य माना जाए। परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो पाए। पर इससे नेहरू जी के काम और महत्व कभी कम नहीं हुआ।
अब कांग्रेस नेताओं में सलमान इस कोशिश में जुट गए हैं। वे कई मोर्चों पर सफल तो नहीं हो पाए। साथ के राजनेताओं ने उन्हें हाशिए पर ला खड़ा किया था। यह बात वे जान भी चुके हैं। इसलिए अपने को फिर से मुख्य धारा में लाने के लिए उन्होंने नई कोशिश की है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। परन्तु देश में किसी नेता को इस तरह के रूप में देखने की आदत नहीं है।
सलमान की कोशिश उन्हें कितना लाभ या नुकसान पहुंचाती है यह तो आने वाले समय में सामने आएगा। परन्तु उनका साहस या यूं कहें दुस्साहस भरा कदम जरूर है। अभी कुछ दिनों पहले ऐसा ही कदम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने उठाया था। उन्होंने अपने एक टीवी पत्रकार के साथ संबंधों को खुलकर स्वीकारा था। उनकी समय रहते इस स्वीकृति से देश में मचने वाला बड़ा वबंडर जरूर रुक गया था। क्योंकि देश में बड़े नेताओं के लव अफेयर्स अभी भी लोगों आसानी से पचा नहीं पाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के तमाम अच्छे काम पर लोग भले ही तालियां बजाएं। परन्तु उनका पत्नी को छोड़ना आज भी लोग भूले नहीं है। इसको लेकर लोगों के मन में एक उलझन हैं। वे मोदी का समर्थन करते समय भी उनके इस अध्याय पर बात करने से कतराते हैं और कतराते रहेंगे। ऐसे ही अटल बिहारी को लेकर लोग हमेशा से करते रहे हैं।