Friday 19 August 2016

तिरंगा लहराए तो गर्व होता है पर यहां तो हंगामा होने लगता है

राजेश रावत भोपाल-19 अगस्त 2016 दुनिया के किसी भी कोने में अगर तिरंगा लहराता है तो हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। उसके चेहरे पर चमक आ जाती है। शुक्रवार को जब रियो डि जेनेरो में बैडमिंटन खिलाड़ी सिंधू ने सिल्वर मेडल जीता तो पूरी दुनिया के हिंदुस्तानियों ने तालियां बजाकर खुशी का इजहार किया। देश में सिंधू के ओलिंपिक में मेडल जीतने पर जगह-जगह जश्न का माहौल है। पर भाजपा जहां भी तिरंहा यात्रा करती है वहां तनाव हो जाता है। देश में कोई इसके विरोध में नहीं बोलता। पर उस शहर के लोग सहमे रहते हैं। कहीं भगवा ब्रिगेड कोई नया हंगामा खड़ा न कर दे। यह पहली बार है जब देश में तिरंगा लहराने में लोग सहम जाते हैं। इस तर्क से सभी सहमत हों जरूरी नहीं। पर इसे नकारा भी नहीं जा सकता है। यह पंक्तियां लिखते समय मेरे मन भी भगवा ब्रिगेड के विरोध का डर आया। पर कलम ने उसे एक किनारे कर दिया। यह किसी की तिरंगा यात्रा पर सवाल नहीं है। भारत में कोई भी कहीं भी कभी भी नियमों के दायरे रहते हुए तिरंगा लहरा सकता है। फिर क्या है विवाद। सवाल इससे पैदा होने वाले भय से है जिसका सीधा असर आम आदमी पर हो रहा है। इस यात्रा में शामिल होने वाले भी खुद भयभीत रहते हैं। उनका भय उन्माद में दब जाता है। शंका-आशंका के बीच वे यात्रा में शामिल होते हैं। लेकिन उनका परिवार जिस डर के साया छाया रहता है उससे वे अंजान नहीं है। फिर भी दिखाने के लिए तिरंगा यात्रा में शामिल होते है। वे भी देश भक्त है उनकी देशभक्ति पर भी कोई प्रश्नचिंह भी नहीं है यह। क्योंकि देश सबका है और उसके प्रति अपनी भावना को व्यक्त करने की आजादी भी सबको है। लेकिन इस आजादी की आड़ में किसी को डराने, धमकाने, भयभीत करने की किसी को छूट नहीं है। अपने लाभ के लिए भाजपा तिरंगा यात्रा को भुनाने की कोशिश कर रही है। यह उसका राजनीतिक एजेंडा है। उसके हर काम को राजनीति के चश्मे से देखा ही जाएगा। वह चाहे या न चाहे। अगर तिरंगे के प्रति उसकी नजर और नजरिया साफ है तो उसके स्थान पर इस यात्रा में गरीबों के उत्थान, जातिवाद को खत्म करने और देश के अनेक राज्यों में चल रही कुप्रथाओं को दूर करने के लिए अभियान चलाए। हालांकि इसे भी एक राजनीतिक चाल के तौर पर ही देखा जाएगा। पर इससे उसे भी लाभ होगा और देश के अनेक लोगों को। तब उस पर किसी भी मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप नहीं लगेगा।

Friday 5 August 2016

राजनीति ऐसे ही करवट बदलती है, नहीं समझ पाई आनंदीबेन

फोटो साभार गूगल -
-आनंदीबेन की जगह विजय रूपानी की ताजपोशी,
-नीतिन पटेल को डिप्टी मुख्यमंत्री पद मिलना 

राजेश रावत 
भोपाल 5 अगस्त 2016 राजनीति में तभी तक  
व्यक्ति प्रभावशाली बना रहता है। जब तक वह सत्ता पर काबिज रहता है।