Thursday 19 June 2014

फीफा में चैंपियन की हार का मतलब

स्पेन की टीम को चिली से जिस तरह से हारी है। वैसे चैंपियन की हार तभी होती है जब वह बेहद आत्मविश्वास के साथ मैदान में उतरे और सामने वाली टीम का आकलन सतही तौर पर करे। सदियों से चैंपियन एेसे ही हारते आए हैं। जब वे अपने को अजेय मानने लगते हैं तभी कोई नया खिलाड़ी आता है और मद में चूर चैंपियन को बड़ी आसानी से हरा देता है। उसकी तमाम कोशिशें और ताकतें काम नहीं आती है।
स्पेन के साथ भी एेसा ही हुआ।बड़े बड़े महारथी अपनी रणनीति के चक्रव्यूह में ही उलझे रहे। स्पेन के आक्रमण ने उसे किले को ध्वस्त कर दिया।
एेसा ही कुछ श्रीकृष्ण ने उस समय कंस  के अखाड़े में किया था जब कंस ने उन्हें मल्लयुद्ध के लिए बुलाया था। कंस के योद्धा अंहकार में थे। कंस भी उनकी शकि्त को कृष्ण की शकि्त से ज्यादा मानकर बेफ्रिक था। जबकि कृष्ण उसकी हर चाल को भांपते हुए आ रहे हैं। वृंदावन से कृष्ण को युद्ध के लिए साथ ला रहे अक्रूर भी तब तक कृष्ण को एक किशोर बालक ही मानकर अपने साथ ला रहे थे। लेकिन कृष्ण ने अखाड़े में सबके आकलन को गलत साबित करके कंस का वध उसकी सेना के सामने ही कर दिया। यानी एक पुराना चैपियन धराशायी हो गया। जिसे हराने की उस दौर में सोचने पर भी उसके विरोधियों को पसीना आने लगता था।

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